बिहार विधानसभा चुनाव 2025: एनडीए को शानदार जीत, मोदी-नीतीश गठबंधन ने 200+ सीटें हासिल कींविपक्षी महागठबंधन को करारी शिकस्त, तेजस्वी यादव की उम्मीदें चूर-चूर।

पटना, 15 नवंबर 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने राजनीतिक इतिहास रच दिया है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने 243 सीटों वाली विधानसभा में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए कुल 202 सीटें जीत लीं, जो बहुमत के आंकड़े (122) से कहीं ज्यादा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले इस गठबंधन ने विपक्षी महागठबंधन (आरजेडी, कांग्रेस, वाम दलों का गठन) को बुरी तरह करारी शिकस्त दी, जो महज 35 सीटों तक सिमट गया। तेजस्वी यादव की अगुवाई वाली आरजेडी, जो 2020 में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, इस बार 20 सीटों पर सिमट गई, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 6 सीटें मिलीं। अन्य निर्दलीय और छोटे दलों को शेष 6 सीटें हासिल हुईं।एनडीए की जीत के प्रमुख आंकड़ेबीजेपी: 92 सीटें (एनडीए की सबसे बड़ी पार्टी बनी)।जेडीयू: 83 सीटें (नीतीश कुमार का प्रभाव बरकरार)।लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास): 19 सीटें (चिराग पासवान को बड़ा झटका लगने के बाद भी उल्लेखनीय प्रदर्शन)।अन्य सहयोगी: हम (जितन राम मांझी) को 4, राष्ट्रीय लोक मोर्चा (उपेंद्र कुशवाहा) को 3, और विकासशील भारतीय जनता पार्टी को 1 सीट।यह जीत एनडीए के लिए 2010 के बाद सबसे बड़ी है, जब उन्होंने 206 सीटें जीती थीं। वोट शेयर के लिहाज से एनडीए को करीब 55% जबकि महागठबंधन को 35% ही मिला। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 6 और 11 नवंबर को हुए मतदान में 67.13% मतदाताओं ने हिस्सा लिया, जो 1951 के बाद सबसे ऊंचा रिकॉर्ड है।विपक्ष की उम्मीदें चूर-चूर: तेजस्वी की हार का विश्लेषणतेजस्वी यादव ने अपनी रघोपुर सीट तो बरकरार रख ली (1.18 लाख वोटों से जीत), लेकिन उनकी पार्टी आरजेडी को कुल 23 सीटों पर ही सीमित रखा जा सका। महागठबंधन ने ‘जंगल राज’ बनाम ‘विकास’ की बहस में विपक्षी लहर पैदा करने की कोशिश की, लेकिन एनडीए की एकजुट रणनीति और मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) ने विपक्ष को पीछे धकेल दिया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हार को ‘चुनाव चोरी’ का आरोप लगाया, लेकिन बीजेपी ने इसे जनादेश का समर्थन बताया। प्राशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, जो 238 सीटों पर लड़ी, एक भी सीट नहीं जीत सकी। AIMIM को 5 सीटें मिलीं, जो सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण को दर्शाती है।नेताओं की प्रतिक्रियाएंपीएम मोदी: “यह अच्छे शासन, विकास, जनकल्याण और सामाजिक न्याय की जीत है। बिहार की महिलाओं और युवाओं ने पुरानी ‘मुस्लिम-यादव’ फॉर्मूले को उखाड़ फेंका। गंगा बिहार से बंगाल तक बह रही है, और बीजेपी की जीत का सफर जारी रहेगा।” उन्होंने बीजेपी कार्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा।नीतीश कुमार: “लोगों ने हमारी सरकार पर भरोसा जताया है। बिहार को सबसे विकसित राज्य बनाने का वादा पूरा करेंगे।” उन्होंने सहयोगियों का आभार जताया और कहा कि कोई अन्य मुख्यमंत्री पद के लिए दावा नहीं करेगा।बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा: “यह विकास बनाम जंगल राज का फैसला था। एनडीए को सुनामी जैसा जनादेश मिला।”तेजस्वी यादव: हार स्वीकार करते हुए कहा, “हम लड़ते रहेंगे, लेकिन आज जनता का फैसला सिर माथे।”अमित शाह: “SIR प्रक्रिया ने मतदाता सूची को शुद्ध किया, जिससे सही जनादेश आया।”जीत के पीछे की रणनीति: गठबंधन एकजुटता और वोट विभाजनविश्लेषकों के अनुसार, एनडीए की जीत का राज गठबंधन की मजबूत एकजुटता और विपक्ष के वोटों का विभाजन रहा। 2019 लोकसभा चुनावों से शुरू हुई द्विध्रुवीय राजनीति ने फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट सिस्टम में एनडीए के वोट शेयर को सीटों में बदल दिया। महिलाओं के लिए नीतीश कुमार की कल्याण योजनाओं (जैसे 50% आरक्षण) और मोदी की विकास योजनाओं (पीएम आवास, उज्ज्वला) ने युवा-महिला वोट बैंक को मजबूत किया। इसके अलावा, बीजेपी की रैलियों और केंद्रीय मंत्रियों के दौरे ने ग्रामीण क्षेत्रों में लहर पैदा की। विपक्ष की कमजोरी कांग्रेस की दुर्बलता और जन सुराज जैसे नए खिलाड़ियों के वोट काटने में रही।आगे की राह: नई सरकार का गठनएनडीए की इस ऐतिहालिक जीत से नीतीश कुमार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने की राह पर हैं, जो उन्हें बिहार के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले नेताओं में शुमार कर देगी। शपथ ग्रहण समारोह 18 नवंबर को होने की संभावना है। बीजेपी के कई नेता सीएम पद पर दावा कर सकते हैं, लेकिन जेडीयू का जोर नीतीश पर है। यह जीत बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में बीजेपी के लिए प्रेरणा बनेगी।यह परिणाम न सिर्फ बिहार की राजनीति को नया आकार देगा, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए की ताकत को मजबूत करेगा। पूर्ण परिणामों के लिए चुनाव आयोग की वेबसाइट देखें।